गुर्जर हूण वीरो की विजयनी सैना
गुर्जर हूण वीरो की विजयनी सैना | Victorious Army of Huna Veer Gurjars |
हूण पशुजीवी ही नही थे आयुध जीवी भी थे । बडे - बडे व दूर - दूर तक लम्बे धावे मारना इनका शोक था ।
हूण वीरो की लडाई की एक बडी चाल थी, दुश्मन के सामने पराजित होने का अभिनय कर के भाग पडना । ओर जब दुश्मन उनका पीछा करते कुछ दूर निकल जाता , तो सुशिक्षित, सुसंगठित जहां - तहां छिपे हुये हूणवीरो के दस्ते शत्रु की पीठ पर आक्रमण कर देते ।
हूणवीर माउदून ने चीन के युद्ध मे एक बार इस तरह 3 लाख 20 हजार चीनी सेनिको को अपने जाल मे फसा लिया था ।
चीन सम्राट अपनी सेना के साथ आधुनिक ता - तुड - फू ( शेनसी ) से एक मील दूर एक दृढ दुर्ग- बद स्थान पर पहुच चुका था , लेकिन उसकी अधिकांश सेना पीछे रह गयी थी ।
हूण वीर " माउदून " अपने 3 लाख सैनिको के साथ चीनियो पर टूट पडा ओर चीनी सम्राट चारो तरफ से घिर गया । चीनी सेना 7 दिन तक घिरी रही । बडी मुश्किल से चीनी अपने सम्राट को घेर मे से बाहर निकाल पाये । माउदून के घेरे का एक कोना ढीला था । इस निर्बल कोने से चीनी सम्राट निकल भागने मे समर्थ हुआ । माउदून ने पीछा नही किया ।
समझोते मे चीनियो को बहुत अपमानजनक बाते स्वीकार करनी पडी । हूणवीर माउदून के साथ चीनी सम्राट का समझोता हुआ ओर चीनियो को अपनी एक राजकुमारी , रैशम तथा बहुमूल्य हीरे जवाहरात, रत्न, चावल, अगूंरी शराब तथा बहुत तरह के खाद्य पदार्थ भेंट देने के लिये मजबूर होना पडा ।
इस तरह चीनी राजकुमारीयो का शक्तिशाली हूण वीरो से ब्याह करने की प्रथा चली ।
क्योकि राजकुमारी का लडका मातृपक्ष का पक्षपाती होगा ।
चीन सम्राट हूड-ती के मरने के बाद उसकी विधवा रानी को -ठूँ अपने पुत्र ( वैन - ती ) को बैठा कर बारह साल ( 187 - 179 ईसापूर्व ) तक स्वय राज करती रही । हूण वीरो मे पितृ - सताक समाज होने के कारण कुछ सुभीता था, जिसके कारण कितने ही चीनी भाग कर उनके राज्य मे चले आते थे ।
ऐसे ही किसी दरबारी की बातो मे पडकर माउदून ने रानी को सदेंश-पत्र- भेजकर अपने हाथ ओर ह्रदय को देने का प्रस्ताव किया ।
दरबारीयो ने युध्द की आग भडकाने की कोशिश करी , लेकिन किसी समझदार ने चीनी रानी को समझाया
" कि अभी भी हमारी आम जनता हमारी ही सडको पर चीनी सम्राट के युध्द से भागने के गीत गाते फिरते हे "
चीनी रानी ने कूटनीतिक रूप से हूणवीर सम्राट माउदून को बहुत नरम सा पत्र लिखा -- " मेरे दाँत ओर केश परम भटारक ( आप ) को प्राप्त करने के योग्य नही हे " साथ ही दो राजकीय रथ , बहुत से अच्छे घोडे तथा दूसरी बहुमूल्य भैंट भेजी ।
तब जाकर " माउदून " को दरबारीयो की अनावश्यक युध्द करवाने की चाल समझ आई ओर इस पर हूण वीर माउदून अत्यंत लज्जित हुआ ओर उसने बहुत से हूणी घोडे भेज कर चीनी रानी से क्षमा मागी ।
हूणवीर माउदून ने बहुत लम्बे समय तक ( 36 साल ) राज्य किया ।
सन्दर्भ :--
1. A Thousands years of Tattars :- E. H. Parker, Shanghai - 1895
2. Histoire d ' Attila et De ses successures : Am. Thierry -- Paris - 1856
3. History of the Hing - nu in their Relations with China :-- Wylie - Journal of Anthropological institute -- London, Volume III - 1892 -93
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