संसद भवन और गुर्जरो का चौसठ योगिनी मंदिर
हमारा संसद भवन ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन ल्युटेन की मौलिक परिकल्पना माना जाता है. लेकिन,इसका मॉडल हू-ब-हू मुरैना जिले के मितावली में मौजूद गुर्जर वंशी प्रतिहार राजाओ द्वारा बनवाये गए चौंसठ योगिनी शिव मंदिर से मेल खाता है. इसे 'इकंतेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।
मुरैना जिले के मितावली गांव में स्थित चौंसठ योगिनी शिवमंदिर अपनी वास्तुकला और गौरवशाली परंपरा के लिए आसपास के इलाके में तो प्रसिद्ध है, लेकिन मध्यप्रदेश पर्यटन के मानचित्र पर जगह नहीं बना सका है।
स्थानीय लोग इसे ‘चम्बल की संसद' के नाम से भी जानते हैं. इस मंदिर की ऊंचाई भूमि तल से 300 फीट है. इसका निर्माण तत्कालीन गुर्जर प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था. यह मंदिर गोलाकार है. इसी गोलाई में बने चौंसठ कमरों में एक-एक शिवलिंग स्थापित है. इसके मुख्य परिसर में एक विशाल शिव मंदिर है.
भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर को नौवीं सदी में बनवाया गया था. कभी हर कमरे में भगवान शिव के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है. देवी की कुछ मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं और कुछ मूर्तियां देश के विभिन्न संग्रहालयों में भेजी गई हैं. यह मंदिर कई तरह से अद्वितीय है।
भारत में चार चौंसठ-योगिनी मंदिर हैं, दो ओडिशा में तथा दो मध्य प्रदेश में. मंदिर को एक जमाने में तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था. मंदिर के निर्माण में लाल-भूरे बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है।
ये गुर्जर धरोहर है इसलिए जर्जर हालात में है यदि यही मंदिर महाराणा प्रताप ने बनवाया होता तो मध्य प्रदेश के बड़े पर्यटन स्थल में से एक होता पर गलती गुर्जर राजाओ की ये रही की उन्होंने अपने वंश को गुर्जर नाम दिया अगर गुर्जर नाम ना दिया होता तो सायद राजपुत कहलाकर ही सही पर उनकी धरोहर को सही जगह मिल जाती।
सबलगढ़ का दुर्ग चौशठ योगिनी मंदिर धौलपुर दुर्ग सब जर्जर हालात में है क्योंकि गुर्जरो के है।
ऐसे तो गुर्जर विदेशी है इतिहास भी नही दिखाएंगे इतिहास भी राजपुतो का बना देंगे ओर ऐसे संसद का मॉडल गुर्जर राजाओ से लिया गया वो भी विदेशी के नाम कर देंगे।
कमाल है!!
Chausath Yogini Temple of Gurjars vs Indian Parliament |
This is unfair
जवाब देंहटाएंGurjar Pratihar vansh deserve respect