हूणराज - चूचेन (चीयू) (172 - 127 ईसापूर्व)
महान धनुर्धर प्राचीन हूण राजवंश
ची यू के स्थान पर चूचेन शान - यू ( राजा ) बना । चीनी ख्वाजासरा ( किन्नर - हिजडा ) अब भी प्रभावशाली मंत्री था । चीयू के पास भी चीन से नई राजकुमारी आई थी । तत्कालीन चीन सम्राट बू- ती ने उसे धोखे से पकडना चाहा भारी युध्द हुआ लेकिन हूण शान - यू फिर विजेता बन कर निकले ओर अब चीन ओर हूण के निरन्तर सघर्ष होने लगै ओर चीनी सीमांत हूणो की आक्रमण भूमि बना रहा ।
हूण राज ईचिसे - ( 127-117 ईसापूर्व )
यह पाँचवा शान - यू ( राजा ) हूणराज चू- चैन का भाई था । इसने भी चीन पर लगातार हमले जारी रखे उस समय चीन का सम्राट बूती था जो कि एक शक्तिशाली सम्राट था उसने भी हूणो का बल तोडने के लिये एक शक्तिशाली सेना का गठन किया ओर बडी भारी तैयारी करी चीन की इस बडी भारी सेना ने बूती के नेत्तृत्व मै हूणो की भूमि के एक भाग पर आक्रमण किया ओर कान्सू पर अधिकार कर लिया ।
कान्सू मे एक नगर चाड - वे था जहा कोई हूणो का सरदार रहता था ।
इस नगर पर विजय के समय चीनी सेना को एक सोने की मूर्ति ( स्वर्ण - मूर्ति ) मिली जिसकी हूण पूजा किया करते थे ।
{ इस स्वर्ण - मूर्ति के बारे मे जानकारी बाद मे विस्तार से दी जायेगी }
यधपि चीनी सेना हूणो को यूचीयो की इस भूमि से उतर की ओर धकेलने मे कामयाब हुई किन्तु उसे सदा की विजय नही समझती थी इसलिए चीनी सम्राट बूती ने अपने सेनापति चाडः - क्यान को अपने शत्रु हूणो के शत्रु यूचियो के पास भेजा, कि पश्चिम से यूची भी हूणो पर आक्रमण करे , चीनी सम्राट ने यूचियो को अपनी पुरानी भूमि पर आकर वापस बसने का निमंत्रण दिया ।
चाडः - क्यान ( चीनी सेनापति ) 138 ईसा पूर्व मे अपनी यात्रा पर चला । यह चीन का प्रथम यात्री हे जिसका यात्रा विवरण बडा ही ज्ञानवर्धक हे । चाडः - क्यान दस साल हूणो का बन्दी रहा । जब वू- सूनो ने अपने को हूणो से स्वतंत्र कर लिया, तो यह हूणो की नजरबंदी से भागकर वू - सून भूमि मे होते हुये खोकन्द पहुंचा । वहा के निवासी घुमन्तू नही थे बल्कि नगरो ओर ग्रामो के निवासी थे ।
वहा से समरकंद होते वह यूचियो के केन्द्र बाख्तर मे पंहुचा । चाडः - क्यान ने यूचियो को बहुत समझाने की कोशिश करी कि चीनी सम्राट बूती ने तुम्हारी जन्म भूमि हूणो से खाली करवा ली हे ओर चीनी समाज सम्राट चाहते हे कि यूची लोटकर अपनी भूमि सम्हाल ले । लेकिन यूची भली प्रकार जानते थे कि घुमन्तु हूणो को जीतना वेसा ही अचिरस्थायी हे जैसा डेला फेकने पर काई का फटना ।
यूची बाख्तर के विशाल राज्य के स्वामी हो आनन्द से जीवन बिता रहे थे इसलिये हूणो से झगडा मोल लेने के लिये तेयार नही थे ।
चाडः - क्यान को बदख्शां , पामीर ओर सिडःक्यि।डः होकर लोटना पडा । जहा वह हूणो की पहुच से बाहर नही रह सकता था । उसे फिर उनकी कैद मे रहना पडा ओर बारह वर्ष ( 138 - 126 ईसापूर्व ) के बाद चीन लोटने का मोका मिल सका ।
115 ईसा पूर्व मे फिर उसे वसूनो के पास भेजा गया , जो इस्सिकुल महा सरोवर के पास त्यानशान मे रहा करते थे । चीन पश्चिम जाने वाले रेशम पथ ( Silk Routes ) को सुरक्षित तोर से अपने पास रखना चाहता था , इसलिए चाडः - क्यान को दूसरी बार भेजा गया था ।
उसने पार्थिया आदि दूसरे देशो मे पता लगाने के लिये अपने दूत भेजे ओर लोटकर उसने चीनी सम्राट को पश्चिमी देशो के बारे मे रिपोर्ट दी ।
" मूल रिपोर्ट प्राप्य नही हे "
लेकिन सूमा- च्याडःने 99 ईसापूर्व मे अपनी पुस्तक " शी - की " ओर पाडःकी ने 92 ईस्वी मे " च्यान-शान-शूकी" मे उपयोग किया हे ।
पिछली पुस्तक मे 206 ईसापूर्व स 24 ईस्वी तक का वर्णन हे । चाडः- क्यान पश्चिम से लोटने के बाद 114 ईसापूर्व मे मर गया । उसके विवरण के जो अंश मिलते हे , उससे बहुत सी बातो का पता चलता हे । पार्थियन लोग चर्मपत्र पर आडी लाइन मे लिखते थे । फर्गाना से पर्थिया तक शक-भाषा बोली जाती थी ।
इशी- ज्या ( 127 - 117 ईसापूर्व )
अच्ची( 117- 107 ईसापूर्व )
चान - सी - लू ( 107 - 104 ईसापूर्व )
शूली- हू ( 104 - 103 ईसापूर्व )
शू-ती- हू ( 103 - 68 ईसापूर्व )
हू-लू-हू( 68 - 87 ईसापूर्व )
यह हूणो के 5 वे शान - यू ( राजा ) के बाद शान -यू ( राजा ) हुये ।
जिनका समकालीन हान- वंशी सम्राट बूती ( 140 - 86 ईसापूर्व ) था ।
चिन वंश ने हूणो की शक्ति को तोडने के लिये जो प्रयत्न किया था , समाप्ति हान वंश ने की थी ।
सन्दर्भ :
1 . A Thousand Years of Tatars : E. H . Parker, Shanghai - 18952. हुन्नू इ गुन्नी : क. इनस्त्रान्त्सेफ, लेनिनग्राद - 1926
3. Histoire des Huns : Desqugue - Paris : 1756
4. Excavation in Northan Mangolia - C. Trever - Leiningrad
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