सरस्वती - कण्ठाभरण ग्रन्थ : गुर्जर सम्राट भोज परमार
गुर्जर सम्राट भोज परमार ( ईस्वी - 1010 ) अपने ग्रन्थ सरस्वती - कण्ठाभरण ग्रन्थ मे भारत के विभिन्न प्रदेशो मे प्रचलित भाषाओ का उल्लेख करते हे लिखते हे कि
"" अपभ्रंशेन तुष्यन्ति स्वेन नान्येन गुर्जरा : "
अर्थात :गुर्जर अपनी गुर्जरी अपभ्रंश भाषा से ही सन्तुष्ट रहते हे , वे अन्य भाषा पसन्द नही करते हे ।
गुर्जर सम्राट राजा भोज परमार / Gurjar Samrat Raja Bhoj Parmar |
महाराजा भोज जी राजपूत परमार वंश के थे नाकी गुजर
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजा-महाराजाओं का वंश रहा है किसी के कुछ भी मान लेने से सच बदल नहीं सकता
जवाब देंहटाएंराजाभोज राजपूत क्षत्रिय परमार वंश के राजा थे
राजपूत का जाति प्रमाण पत्र दिखा ो अपना
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