हूणराज कुयुक ( कुयुक - 162 ईसा पूर्व ) - महान धनुर्धर हूण गुर्जरो का प्राचीन इतिहास
यह हूणराज माउदून महान का पुत्र था जिसे चीनी लेखक लाऊशान शान - यू के नाम से याद करते है । चीनी सम्राट ने इसके लिए एक खूबसूरत राजकुमारी भेजी थी साथ मे एक ख्वाजासरा ( किन्नर - हिंजडा ) भी भेजा जो जल्द ही शान - यू का विश्वास पात्र मन्त्री बन गया । चीनी भेंटो , राजकुमारीयो के प्रभाव मे आकर हूण ज्यादा विलासी होते जा रहे थे । ख्वाजासरा इसे पसन्द नही करता था
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उसने हूणो को समझाया ----
" तुम्हारे ओर्दू की सारी जनसंख्या मुश्किल से चीन के कुछ परगनो के बराबर होगी , किन्तु तब भी तुम चीन को दबाने मे समर्थ होते रहे । इसका रहस्य हे तुम्हारा अपनी वास्तविक आवश्यकताओ के लिये चीन से स्वतंत्र होना । मै देखता हू कि तुम दिन पर दिन अधिक ओर अधिक चीनी चीजो के प्रेमी बनते जा रहे हो ।
सोच लो , चीनी सम्पत्ति का 5 वां भाग तुम्हारे सारे लोगो को पूरी तोर से खरीद लेने के लिये काफी हे । तुम्हारी भूमि के कठोर जीवन के रैशम ओर साटन उतने उपयुक्त नही है ।
जितना की ऊनी नम्दा चीन के तुरन्त नष्ट हो जाने वाले व्यंजन उतने उपयोगी नही हो सकते हे , जितनी तुम्हारी कूमीश ओर पनीर । "
वह बराबर हूणो को इस तरह से सजग करता रहा ।
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चीन के जवाब मे शान - यू की ओर से जो चिट्ठी उसने लिखवाई थी , वह चर्म पत्र की लम्बाई चोडाई मे ही अधिक बडी नही थी , बल्कि उसमे शान - यू ( कुयुक हूण)की अधिक लम्बी उपाधि भी लिखी गई थी ----
" हूणो के महान शान - यू जेंगी ओर पृथ्वी के पुत्र , सूर्य - चन्द्र - समान आदि " आदि ।
हूणो का रिवाज हे कि अपनी भैडो ओर ढोरो के मांस को खाना ओर दूध को पीना । वह मोसम कै अनुसार अपने पशुओ को लेकर भिन्न - भिन्न चारागाहो मे घूमा करते थे ।
" हर एक हूण पुरूष दक्ष धनुर्धर होता था,"
शांति के समय उसका जीवन सरल ओर सुखी होता हे । उनके शासन के नियम बिलकुल सरल हे । शासक ओर जनता का सबंध उचित ओर चिरस्थायी है ।
7 साल शासन करने के बाद ची - यू ( कुयुक हूण) को चीन कै ऊपर आक्रमण करने की आवश्यकता पडी ।
वह 1 लाख 40 हजार ( 1, 40,000 ) हूण सेना के साथ लूटपाट करता वर्तमान सियान - फू तक चला आया ओर बडी भारी संख्या मे लोगो, पशुओ ओर धन - सम्पति को अपने साथ ले गया । चीनी बडी तैयारी करने मे लगे थे , किन्तु तब तक ची - यू अपना काम करके लोट चुका था । कई सालो तक यह ऑतक छाया रहा , फिर इस बात पर सुलह हुई -----
" महा - दिवार से उतर की सारी भूमि धनुर्धरो ( हूणो ) की हे , उससे दक्षिण की भूमि टोपी ओर कमरबंद वालो की "
यू - ची ---- पलायन :---
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यू ची पलायन ची - यू की सबसे बडी विजय थी, कान्सूस यूची शको को भगाना । माउदून उन्हे सिर्फ परास्त भर कर पाया था । उस समय लोबनोर से हाण्ड- हो ( हूण ) के मुडाव तक यूचियो की विचरण भूमि थी ।
लोबनोरसेउतर- पूरब सइवाडः(शक ) रहते थे । ची - यू ने अपनी सुसंगठित सेना से यूचियो पर लगातार ऐसे जबर्दस्त आक्रमण किये , जिसके कारण यूचियो को भारी क्षति हुई ओर 176 ईसा पूर्व या 174 ईसा पूर्व मे वह अपनी भूमि छोडकर पश्चिम की ओर भागने के लिये मजबूर हुए ।
सइवाडः ( शको ) की भूमि मे थोडा जाने के बाद यूचियो का एक भाग तरिम- उपत्यका की ओर चला गया ओर दूसरा इली - उपत्यका के रास्ते आगे बढा -- पहले भाग को लघु - यूची कहते हे ओर दूसरे को महा- यूची ।
लघु यूची के आने से पहले तरिम - उपत्यका उन्ही खसो ( कशो ) की थी , जो कि उस समय भी कशमीर ओर पश्चिमी हिमालय तक फैले हुए थे । अब कुछ शताब्दीयो के लिए तरिम - उपत्यका लघु - यूचियो की हो गई ।
महा यूचियो ने सइवडः ( शको ) को खदेड कर उनकी जगह अपने हाथ मे ले ली ।
शक लोग अपने पश्चिमी पडोसी तथा त्यानशान ओर सप्तनद के निवासी वूसुन पर पडै । महा यूचियो को हूणो ने यहा भी चैन से नही रहने दिया ओर वह बराबर पश्चिम की बढते हुये सिर - दरिया ओर अराल समुन्द्र तक फैल गये । फिर वहा से दक्षिण की ओर घूमे । कुछ समय तक उनका केन्द्र वक्षु नदी के उतर मे था ।
इसी समय ग्रीको - बाख्त्री राजा हैलिवोक मरा था । कास्पियन तटवासी पार्थियो ओर सोग्द- उपत्यका मे पहुचे यूचियो ने उसके राज्य को आपस मे बाटकर इस यवन-राजवंश को खतम कर दिया ।
सन्दर्भ :--
1 . A Thousand Years of Tatars : E. H . Parker, Shanghai - 1895
2. हुन्नू इ गुन्नी : क. इनस्त्रान्त्सेफ, लेनिनग्राद - 1926
3. Histoire des Huns : Desqugue - Paris : 1756
4. Histoire d' Attila et de ses successures : Am. Thierry - Paris : 1856
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