शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

महान धनुर्धर प्राचीन हूण गुर्जरो की शासन व्यवस्था का विवरण (ईसापूर्व)

महान धनुर्धर प्राचीन हूण गुर्जरो की शासन व्यवस्था  ( ईसापूर्व )

हूण गुर्जर साम्राज्य । Hun Gurjar | Hoon Gurjar | History | Huna Gurjar 

हूण गुर्जर वीरों की शासन व्यवस्था का विवरण 


1. शान -'यू :

राजा वाची चीनी शब्द शान - यू का हूण भाषा रूप  जैंगी कहा जाता है। शायद इसकी रूपान्तर " चंगीज" हुआ । राजा की पूरी उपाधि थी

" तेंग्री - कुदू - शान - यू " ( दैव पुत्र महान )

आज भी मंगोल ओर तुर्की भाषा मे देवता वाचक ""तेंग्री " शब्द मोजूद है । शान- यू  प्रभावशाली योध्दा ओर नेता होता , लेकिन उसके ऊपर हूण ओर्दू का नियन्त्रण रहता था

2. दूगी :--

इसका अर्थ होता हे धर्मात्मा या न्यासी । शान-यू के नीचे दूगी हुआ करते थे , जिनमे एक को पूर्वी - दूगी ओर दूसरे को पश्चिम - दूगी कहते थे ।

 पूर्वी दूगी का दर्जा ऊॅचा समझा जाता था,  ओर आमतौर से वह युवराज माना जाता था ।
हूण साम्राज्य के पूर्व भाग पर पूर्वी - दूगी का शासन था ओर पश्चिम पर पश्चिमी दूगी का ।

 राज्य के मध्य भाग पर अर्थात हूण - जन क्षैत्र पर स्वयं शान - यू सीधे शासन करता था ।

3. रूक - ले  ( कुनलू ) :----

यह भी दक्षिण ओर उतर दो होते थै , उत्तर का दर्जा ऊॅचा होता था

4 . इनके नीचे उतर ओर दक्षिण के दो सेनापति होते थे
5. इनके नीचे वाम दक्षिण के दो दिवान होते थे । आगे भी दो वाम दक्षिण कुतलू जेसे दस हजारी ओर हजारी तक के चोबीस सेनिक अधिकारी होतै थे । हूण - शासन मे सेनिक- असेनिक अधिकार का भेद नही था  ।

इनके अतिरिक्त हूण - शासको की उपाधि श्रृंगो से समझी जाती थी ,  जो शायद समय - समय पर उनके श्रंगार होते हो  ।

 दोनो दूनी ओर दोनो रूकले चतुःश्रृंग कहे जाते थे ।

उनके नीचे षट -'श्रृंग अधिकारी थे ।
दोनो कुतलू शासन प्रबंध को देखते थे ।

दूगी आदि  24  श्रेष्ठ अधिकारीयो के अपने क्षैत्र थे,  जिनके भीतर ही वह अपने ओर्दू तथा पशुओं को लेकर  विचरण कर सकते थे उनको अपने हजारी,  शतिक ओर दक्षिक आदि अफसरो के नियुक्ति के अधिकार थे ।

शान - यू की रानी की पदवी इन - ची ( येडःची )  थी ।

 हूणो के तीन - चार ऊंचे कुलो मे से उसे  लिया जाता था । शान - यू का अपना कुल भी बहुत सम्मानित समझा जाता था ।
 हूणो की जो श्रैणिया ओर पदवीयां स्थापित की थी ।

वह तुर्को ओर मंगोलो के समय तक मानी जाती रही
हजारी,  पंच हजारी,  दस हजारी दर्जे स्वीकार किये गये थे ।

सन्दर्भ :--
1 . A Thousand Years of  Tatars : E.  H . Parker, Shanghai - 1895
2. हुन्नू इ गुन्नी : क. इनस्त्रान्त्सेफ,  लेनिनग्राद - 1926
3. Histoire des Huns : Desqugue - Paris : 1756

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