गुर्जर सम्राट विक्रमादित्य चालुक्य द्वितीय
सातवी सदी में गुर्जरत्रा ही नहीं बल्कि पूरे भारत के सबसे बडे राजा थे सम्राट विक्रमादित्य चालुक्य । तत्कालीन भारत के वे सम्राट थे जो गुर्जरसंघ के गुर्जराधिपति थे। वे चालुक्य गुर्जर राजवंश के गुर्जर सम्राट पुलकेशिन चालुक्य जनाश्रयी के बाद सबसे प्रतापी व महान राजा हुए।
भारतवर्ष के इतिहास में विक्रमादित्य नाम के कई राजा हुए जो अपने नाम के अर्थ यानी पराक्रम के सूर्य को सार्थक करते हुए अमरता व महानता को प्राप्त हुए ।
पहले विक्रमादित्य राजा जिन्हें अधिकांश इतिहासकारो ने काल्पनिक माना है उज्जैन के विक्रमादित्य थे, जिन्हें विक्रम संवत का प्रवर्तक माना जाता है।
दूसरे विक्रमादित्य गुप्तवंश के चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य जोकि महान शासक थे।
तीसरे विक्रमादित्य चालुक्य गुर्जर वंश के हुए जोकि महान यौद्धा व शासक थे। सातवी सदी में ये गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रतिहार के साथ भारत के सबसे पराक्रमी यौद्धा व शासको में गिने जाते हैं ।
ये चालुक्यो की बादामी शाखा के शासक थे। उसी समय पश्चिमोत्तर भारत यानी गुर्जरदेश की सीमाओ पर अरबी आक्रमणकारियो के लगातार आक्रमण हो रहे थे व गुर्जरो के सारे राजवंश उनसे जूझ रहे थे।
मुहम्मद बिन कासिम के बाद जुनैद पूरे लाव लश्कर के साथ, बेहद बडी सेना के साथ,जेहाद के जुनून में रंगा हुआ, इराक,ईरान,अफगानिस्तान, तुर्की, सीरिया आदि देशो की मिलीजुली विशालकाय सेना के साथ गुर्जरत्रा की सीमाओ पर क्रूरता बर्बरता की हदे पार करने को खडा था।
ठीक उसी समय उत्तर भारत में गुर्जरो का एक बेहद वीर व पराक्रमी व महत्वाकाँक्षी युवक वीर नागभट्ट प्रतिहार गुर्जरो का एक नया साम्राज्य खडा करने को युद्ध पर युद्ध लड रहा था। उधर दक्षिणी भारत में चालुक्य साम्राज्य गुर्जर सम्राट विक्रमादित्य चालुक्य के हाथो में था। मरूगुर्जरदेश में चित्तौड के मान सिहँ मोरी के युवा सेनापति कालभोज गुहिलोत यानी बप्पा रावल जो कि गहलौत वंश के गुर्जर थे। बहुत से इतिहासकार मान सिहँ मोरी को भी गुर्जर वंश का स्वीकारते हैं।
इस अरबी तूफान को गुर्जर कुचलने को आतुर हो उठे व गुर्जरो ने पराक्रम व वीरता की नयी इबारत लिखने को कमर कस ली।
युद्ध सालो तक चला जिसे राजस्थान के युद्ध के नाम से इतिहासकार पुकारते हैं।
अब समय आ गया था निर्णायक युद्ध का, परिणाम का।
गुर्जरो की संयुक्त सेना गुर्जरत्रा से बाहर निकलकर अरबो पर टूट पडी।
गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रतिहार ।।
गुर्जर सम्राट विक्रमादित्य चालुक्य ।।
वीर गुर्जर सेनापति बप्पा रावल ।
वीर गुर्जर पुलकेशिन अवनिजनाश्रयी ।।
वीर गुर्जर नरेश शिलादित्य मैत्रक ।।
इन सब वीर गुर्जरो ने अरबो को वो तांडव दिखाया कि अरबी इतिहासकार लिखते हैं कि गुर्जरो ने व उनके राजाओ ने अरबो को भागने के लिये कोई जगह ही नहीं छोडी।
अरब मैदानो को छोडकर भाग गये व जुनैद को नागभट्ट ने भाले की नोक पर टांग दिया। सालो तक अरबो ने भारत पर आक्रमण की हिम्मत नहीं जुटायी।
गुर्जरो की संयुक्त सेना का नेतृत्व वीर नागभट्ट प्रतिहार ने किया था। नागभट्ट प्रतिहार उस समय उज्जैन के सम्राट थे।
गुर्जर सम्राट विक्रमादित्य चालुक्य सच्चे अर्थो में विक्रमादित्य थे यानी पराक्रम के सूर्य।
उन्ही के बलबूते गुर्जरत्रा के सभी गुर्जर नरेश एक जगह आये व नागभट्ट का नेतृत्व स्वीकार किया राष्ट्र रक्षा के लिये।
कोटि कोटि नमन गुर्जर सम्राट विक्रमादित्य चालुक्य को।
Jay gurjaf
जवाब देंहटाएंJay gurjar
जवाब देंहटाएंVeer gurjar
जवाब देंहटाएंBohot badhiya .dhanye hua me gujjar jatime janm lekr esese mahan gujjar raja hua j
जवाब देंहटाएंJai Gurjar samaj
हटाएंGarv h gurjar hone ka
जवाब देंहटाएंBhai chalukya vansh kayasthon ka ek vansh hai. Ho sakta hai inhe gujjar bhi kaha jata ho.
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