सोमवार, 2 जनवरी 2017

उमराव सिंह परमार गूर्जर, माणकपुर 1857 का गदर | Umrao Singh Parmar Gurjar (Manakpuria) - 1857 Revolt

उमराव सिंह परमार गूर्जर, माणकपुर 1857 का गदर | Umrao Singh Parmar Gurjar (Manakpuria) - 1857 Revolt

Umrao Singh Manikpuria / उमराव सिंह मनिकपुरिया


उत्तर प्रदेश के सहारनपुर क्षेत्र के लोगों ने सबसे पहले 1822-1825 ई0 राजा विजय सिंह गुर्जर व कल्याण सिंह गुर्जर के नेतृत्व में अंग्रेंजी राज को भारत को उखाड़े फैंकने का श्रीगणेश किया था। ऐसे ही 'धनसिंह कोतवाल के नेतृत्व मे 1857 की क्रान्ति की शूरूआत हुई। जैसे ही 1857 की क्रान्ति की ज्वाला धधकी सहारनपुर के गुर्जर अंग्रेंजी हकूमत से उनके साथ हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिये उतावले हो गये । माणकपुर के निवासी उमराव सिंह को जो इस क्षेत्र के प्रभावशाली एवं दबंग व बहादुर व्यक्ति थे वहां की गुर्जर जनता ने उसे अपना राजा घोषित कर दिया ।उनका गोत्र परमार था l जिस प्रकार दादरी के गुर्जर राजा उमराव सिंह भाटी दादरी, राव कदम सिंह गूर्जर परीक्षितगढ़ की राजाज्ञाएं निकलती थी उसी प्रकार माणकपुर के उमराव सिंह गुर्जर की भी राजाज्ञाएं निकलने लगी। ’फिरंगी को मार भगाओ, देश को आजाद कराओ । इन्हें मालगुजारी मत दो, थाणे तहसील पर कब्जा करो, संगठित हो जाओ। इन राजाज्ञाओं का व्यापक असर क्षेत्र पर होने लगा । मालगुजारी राजा उपराव सिंह को दी जाने लगी । नुकड़, सरसावा, मंगलौर, पुरकाजी, बूढ़ा खेड़ी, सोढ़ौली, रणधावा, फतेहपुर, बाबूपुर, साॅपला, गदरदेड़ी, लखनौती पुरकाजी आदि गांवों के गूर्जरों ने संगठित होकर उमराव सिंह के नेतृत्व में सहारनपुर जिले के प्रशासन को एकदम ठप्पा कर दिया और प्रशासन पर क्रान्किारियों का कब्जा हो गया । गुर्जरों के साथ रांघड़ मुसलमान व पुण्डीर भी कन्धे से कंधा मिलाकर अंग्रेंज सरकार से टक्कर ले रहे थे । गंगोह की गुर्जर जनता ने फलुवा गुर्जर को अपना नेता बना कर इस क्षेत्र में भारी उपद्रव व अशान्ति पैदा कर दी थी।

नुकड़ तहसील, थाणा, मंगलौर में भी वही हाल, सरसावा पर भी अधिकार सहारनपुर के सुरक्षा अधिकारी स्पनकी तथा रार्बटसन के साथ राजा उमराव सिंह के नेतृत्व में डटकर टक्कर हुई । इस अंग्रेंज अधिकारियों ने गुर्जरों का दमन करने के लिए सेना का प्रयोग किया । गांवों पर बाकायदा तैयारी कर के सेना, स्पनकी और राबर्टसन के नेतृत्व में चढ़ाई करती थी, लेकिन गुर्जर बड़े हौंसले से टक्कर लेते थे उपरोक्त जिन गांवों का विशेषकर जिक्र किया है उनके जवाबी हमले भी होते रहे । आधुकिनतम हथियारों से लैस अंग्रेंजी सेना व उनके पिटू भारतीय सेना ने इन गांवों को जलाकर राख कर दिया, इनकी जमीन जायदाद जब्त की गई । माणिकपुर के राजा उमराव सिंह, गंगोह के फतुआ गुर्जर तथा इनके प्रमुख साथियों को फांसी दी गई और अनेक देशभक्त गुर्जरों को गांवों में ही गोली से उड़ा दिया गया, या वृक्षों पर फांसी का फन्दा डालकर लटका दिया ।

#freedomfighter #freedom #fighter #revolution #revolt #firstindependencewar #war #warrior #warriors #kranti #british #rule #fight #rebellion #uttarpradesh #meerut #dhansinghkotwal #mutiny #mutineers #army #history #gurjar #gujjar #gurjars #gujjars #historyofindia #battle #army #veergurjar #sacrifice #kranti #dhan #kotwal #meerut #police #mutiny #mutineers #martyr #1857 #rebel #first #independence #rao #umrao #singh #10may #may #uttarpradesh#uttar #pradesh #laxmibai #rani #mangal #pandey #bengal #dadri #indian #history #historical #historic #ancient #riyasat #king #kings #list #top #hero #heroes #क्रान्ति #१८५७ #गदर #gadar #अंग्रेज #युद्ध #मेरठ

9 टिप्‍पणियां:

  1. Aree bakri charane walo parmar ek rajputi gotra h ithaas chor Kahe k tumhare dada paddada bhais chorte chorte Mar gaye puri gindigi rajputo ki gulami ki or ithas chor ke akd dikha rahe ho puri duniya ko pata h ki parmar rajput hote h

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Abe chutiye le ye padh khud Parmar bhoj kya likhte or Gandu ye Bhoj parmar ne likhe hai 😂👇👇👇tere baap h hum 👇
      राजा भोज परमार द्वारा लिखित पुस्तक सरस्वती कंठाभरण', पढ़ ले उनकी लिखी बुक चेक कर लेना गूगल पर

      श्रीः ॥ परमारवंश्यो भोजदेवः

      वासिष्ठ: सुकृतोद्भवोऽध्वरशतैरस्त्यग्निकुण्डोङ्गयो भूपालः परमार इत्यधिपतिः सप्ताधिकाञ्चेर्भुवः । अद्याप्यद्भुतहर्षगड्दगिरो गायन्ति यस्योट विश्वामित्रजयोजितस्य भुजयोर्विस्फूर्जितं गुर्जरा:

      हिंदी में अनुवाद
      वशिष्ठ की स्त्री अरुंधति रोने लगी। मुनि उसकी दशा देखकर क्रोधित हो गए और मंत्र का पाठ करने के बाद, उन्होंने आहुति देकर अपने अग्नि कुंड से एक वीर उत्पन्न किया। वह वीर शत्रुओं को नष्ट करके वसिष्ठ की गाय को वापस ले आया। उसका नाम परमार रखा और उसे एक छत्र देकर राजा बनाया। माउंट आबू के गुर्जर, वसिष्ठ के अग्नि कुंड से पैदा हुए और विश्वामित्र को जीतकर, आज भी परमार नाम के राजा की महिमा को याद करते हैं।

      आबू पर्वत पर चार वंश अग्निकुंड से पैदा हुए,प्रतिहार,परमार,चौहान, चालुक्य वंश अग्नि से पैदा हुए और चारो वंश गुर्जर थे परमार भोज राजा ने लिखा है

      9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के
      परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए।

      इतिहासकार सर एथेलस्टेन बैनेस ने गुर्जर को सिसोदियास, चौहान, परमार, परिहार, चालुक्य और तोमर के पूर्वज  थे।

      लेखक के एम मुंशी ने कहा परमार,तोमर चौहान और सोलंकी शाही गुज्जर वंश के थे।

      हटाएं
  2. Mugalo te talwe chatne wali
    Desh tumne becha Mugalo or angrejo ko
    Apni ijjat tumne bechi

    Koi yudh rajput jita nh
    Or na aaj tak tumhara ek shilalekha puri history mai tum nakli Kshatriya 😂

    जवाब देंहटाएं