सफलता की कुंजी - गुर्जर सम्राट मिहिर भोज
Gurjar Samrat Mihir Bhoj Wallpaper HD |
सुलेमान ने पुछा हे राजन गुर्जेशवर सम्राट आप हमे बतायें कैसे हर काम मे सफल हुआ जा सकता है,कैसे आपने इतने राज्य जीत लिये,सफलता का राज क्या है?
सम्राट भोज ने उनसे कहा आप आज हमारे महल मे आराम किजिये सुबह होने पर आपको सफलता की कुंजी दे दी जायेगी
सुबह होने पर राजमहल के सामने सम्राट ने तीन मिट्टी के ढेर लगवाये और उन्मे तीन चाबिंया(कुंजी) छुपा दी सुलेमान से कहा इस ढेर मे तीन चाबियां छुपी है उन तीनो मे से एक सफलता की कुंजी है आप जायें और ढुंढ ले।
सुलेमान पहले ढेर मे देखने लगा उसे तुरन्त कुंजी मिल गयी वो बहुत खुश हुअा, फिर दुसरे ढेर मे ढुंढने लगा लेकिन बहुत समय लग रहा था कुछ घंटे बाद उसको दुसरी कुंजी भी मिल गयी लेकिन वो थकावट महसूस कर रहा था।
अब बारी तिसरी और अंतिम कुंजी की थी, सुलेमान कुंजी खोजने लगा, सारा ढेर खत्म होने को आया था लेकिन कुंजी नही मिली,उसने राजा से कहा लगता है यंहा कोई कुंजी नही है राजन, परन्तु गुर्जर सम्राट ने कहा सुलेमान यंही है वो, देखो ढेर मे, अब सुलेमान थक कर चूर हो चुका था उसने अंतिम बार ढेर को टटोला तभी उसको कुंजी दिखाई दी
सुलेमान ने राजा भोज से पुछा अब बताये कोनसी है इनमे से सफलता की कुंजी
सम्राट मिहीर भोज ने कहा सफलता की तीन कुंजी "भाग्य" " मेहनत" " आत्मविश्वास" है साथ मे भाग्य, आत्मविश्वास है यही वो तीन है
तुम्हारा "भाग्य" अच्छा था जो तुम्हे पहले ढेर मे कुंजी पहले ही प्रयास मे मिल गयी,दुसरे ढेर मे "मेहनत" थी समय लगा लेकिन मेहनत काम आयी लेकिन तिसरे ढेर मे भाग्य ने तुम्हारा साथ नही दिया तुम्हे बहुत मेहनत करनी पडी,लेकिन तुम प्रयास करते रहे अंत मे तुम्हे सफलता जरूर मिली तुम्हे विश्वास था के कुंजी मिलेगी जरुर चाहे कितना ही समय लग जाये तुम परेशान थे तुम ने जितने की आस छोड दी थी लेकिन कुंजी वही थी अपने स्थान पर और तुमने मेहनत की "आत्मविश्वास" बनाये रखा अधिक मेहनत की अंत मे तुम सफल हुये।
ऎसे ही जिंदगी मे कुछ लोग पहले ही प्रयास मे सफल हो जाते है,कुछ दुसरे प्रयास मे परन्तु कुछ को लक्ष्य के लिये बहुत अ्धिक मेहनत करनी पडती है लेकिन वो भी अंत मे जीत ही जाते है।
इसी तरह राजा मिहीर ने बताया
मै हर युद्ध मे सफल होता हुं
क्युके कुछ राज्य तो मै खेल खेल मे जीत लेता हुं
कुछ बडे राज्य मै अपनी विशाल सेना के कारण जीत लेता हुं
कुछ राज्य मै अपने प्रयासों से जीत लेता हुं
भाग्यवान तो मै हुं ही जो एक राजा के घर जन्म लिया
वीर तो मै हुं ही जो गुर्जरी मां का दुध पीया
देशभक्ति तो मेरे रक्त मे है जो गुर्जर देश का इतना विस्तार किया।
सुलेमान ने अपने अरब देश जाकर अरब शासको को चेताया के उस महान राजा से मत टकराये अन्यथा मुंह की खानी पडेगी
सुलेमान ने अपनी पुस्तकों मे गुर्जर सम्राट का गुणगान किया।
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